अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच पानी को लेकर युद्ध (Water War) के आसार: आने वाले 5 से 10 वर्षों में दक्षिण एशिया के इस क्षेत्र में पानी को लेकर बड़ा संघर्ष देखने को मिल सकता है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच जल संकट इतना गंभीर होता जा रहा है कि एक “वाटर वॉर” (Water War) की संभावना नज़र आ रही है। भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु शक्ति होने के कारण बड़े पैमाने पर युद्ध की आशंका कम रहती है, लेकिन अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच हालात तेज़ी से बिगड़ते दिख रहे हैं।
अफगानिस्तान की नई नीति: पानी रोको नीति
अफगानिस्तान की सरकार (तालिबान) अब यह तय कर चुकी है कि जो नदियाँ पाकिस्तान को पानी देती हैं, उन पर डैम बनाए जाएंगे और वह पानी अफगानिस्तान की ज़रूरतों के लिए इस्तेमाल होगा। हाल ही में तालिबान आर्मी के जनरल मुबीन ने कहा, “यह पानी हमारे लिए खून की तरह है, हम इसे यूँ ही बहने नहीं देंगे।” यह बयान बताता है कि अफगानिस्तान अपनी सीमाओं से बहने वाली नदियों को रोकने के लिए डैम्स बना सकता है।
पाकिस्तान की चिंता: कुनार और काबुल नदियाँ
कुनार नदी, जो अफगानिस्तान से निकलकर काबुल नदी में मिलती है, और फिर पाकिस्तान के लिए सिंधु नदी तंत्र का हिस्सा बन जाती है, बहुत अहम है। पाकिस्तान को डर है कि अगर अफगानिस्तान ने इस नदी पर डैम्स बना लिए, तो सिंध प्रांत के लिए पानी की भारी किल्लत हो सकती है।
भारत की रणनीति: अफगानिस्तान में डैम्स का निर्माण
भारत पहले ही अफगानिस्तान में सलमा डैम (Salma Dam) (अफगान-इंडिया फ्रेंडशिप डैम) जैसे प्रोजेक्ट्स बना चुका है। यह डैम हरी नदी पर है, जिसका पाकिस्तान पर असर नहीं पड़ता। लेकिन अब भारत शातूत डैम (Shatoot Dam) बनाने की योजना पर काम कर रहा है, जो काबुल नदी से जुड़ा है। इससे अफगानिस्तान के 20 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा।
पाकिस्तान ने इस डैम को युद्ध की कार्रवाई (act of war) तक कह दिया है। अगर भारत यह डैम बनाता है और तालिबान सहयोग करता है, तो पाकिस्तान की तरफ़ से सैन्य प्रतिक्रिया की संभावना बढ़ जाएगी।
अफगानिस्तान की जल संकट स्थिति
अफगानिस्तान दुनिया के उन देशों में शामिल है जहाँ जल संकट चरम पर है। यहाँ एरेबल लैंड (खेती योग्य भूमि) भी बहुत कम है। जो थोड़ी बहुत भूमि है, वह भी बिना पानी के बेकार हो जाती है। जब तक डैम नहीं बनेंगे, अफगानिस्तान की खेती और जनसंख्या की स्थिरता पर खतरा बना रहेगा।
क्या वाकई युद्ध होगा?
यह संभव है कि पाकिस्तान, भारत से नहीं, अफगानिस्तान से युद्ध करे, क्योंकि दोनों देशों के बीच कोई वाटर ट्रीटी नहीं है। भारत और पाकिस्तान के बीच तो सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) है, लेकिन पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच ऐसा कोई समझौता नहीं है। इस कारण अफगानिस्तान पूरी तरह स्वतंत्र है कि वह अपने जल संसाधनों का उपयोग अपनी जरूरतों के अनुसार करे।
निष्कर्ष: भारत का डिप्लोमैटिक मास्टरस्ट्रोक?
भारत ने हाल ही में तालिबान से डिप्लोमैटिक संवाद शुरू किया है। इससे यह संभावना बन रही है कि भारत अफगानिस्तान में इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स दोबारा शुरू करेगा। अगर भारत अफगानिस्तान को तकनीकी और आर्थिक सहायता देकर डैम्स बनवाता है, तो यह पाकिस्तान पर एक नया रणनीतिक दबाव होगा—बिना युद्ध के ही पाकिस्तान की जल आपूर्ति पर प्रभाव डाला जा सकता है।
अंतिम विचार:
भविष्य में अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच जल संकट के चलते तनाव बढ़ेगा और युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। भारत की भूमिका इसमें निर्णायक होगी, क्योंकि वह अफगानिस्तान को जलस्रोतों के विकास में सहयोग दे रहा है। यह सहयोग न सिर्फ अफगानिस्तान की ज़रूरत है, बल्कि भारत की विदेश नीति का एक सटीक और रणनीतिक कदम भी है।
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