
भारत की उड्डयन क्रांति(Aviation Revolution)
भारत अब एक क्षेत्रीय उड्डयन नेटवर्क से निकलकर वैश्विक हवाई शक्ति बनने की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने क़ानूनी सुधारों, अधोसंरचना विस्तार और समावेशी विकास के माध्यम से उड्डयन क्रांति (Aviation Revolution में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। यह बदलाव विकसित भारत @2047 के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
विधायी सुधार: आधुनिक कानूनी ढांचा
भारत की उड्डयन नीतियों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के लिए दो प्रमुख विधायी पहलें की गईं:
एयरक्राफ्ट ऑब्जेक्ट्स हित संरक्षण विधेयक, 2025: यह विधेयक विमान पट्टे (लीज़िंग) और वित्तपोषण को वैश्विक मानकों (Cape Town Convention, 2001) के अनुरूप बनाता है। इससे विमान पट्टे की लागत घटेगी और निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।
भारतीय वायुवाहन अधिनियम, 2024: 1934 के औपनिवेशिक विमान अधिनियम को हटाकर यह नया कानून बनाया गया है। इससे लाइसेंस प्रक्रिया आसान होगी और ‘मेक इन इंडिया’ के तहत घरेलू विमान निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
अधोसंरचना विस्तार: भविष्य की उड़ान
भारत में हवाई अड्डों पर बड़ी पूंजी निवेश की जा रही है:
- ₹91,000 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है, जिसमें से ₹82,600 करोड़ पहले ही खर्च हो चुके हैं।
- 12 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे चालू हो चुके हैं, और नोएडा व नवी मुंबई जैसे प्रमुख हवाई अड्डों का कार्य तीव्र गति से चल रहा है।
- वाराणसी, आगरा, दरभंगा और बागडोगरा में नए टर्मिनलों की आधारशिला रखी गई है।
- सरकार का लक्ष्य अगले 5 वर्षों में 50 नए हवाई अड्डों का विकास और 10 वर्षों में 120 नए गंतव्यों को जोड़ना है।
क्षेत्रीय संपर्क: उड़ान योजना की सफलता
- उड़ान (UDAN) योजना आम जनता को सस्ती हवाई यात्रा उपलब्ध कराने में सफल रही है:
- अब तक 619 मार्गों और 88 हवाई अड्डों को जोड़ा जा चुका है।
- 1.5 करोड़ यात्रियों को सेवा दी जा चुकी है, और लक्ष्य है अगले दशक में 4 करोड़ यात्रियों तक पहुंचने का।
- उड़ान यात्री कैफे की शुरुआत कोलकाता और चेन्नई में हुई है, जहां ₹10 में चाय और ₹20 में समोसा जैसी सस्ती सुविधाएं मिल रही हैं।
यात्री वृद्धि में ऐतिहासिक उछाल
- 2024 में घरेलू यात्री संख्या 22.81 करोड़ तक पहुंची—2014 के मुकाबले दोगुनी।
- 17 नवंबर 2024 को 5 लाख यात्री एक ही दिन में यात्रा करते देखे गए।
- अंतरराष्ट्रीय यात्री संख्या भी 11.4% बढ़ी और 64.5 मिलियन तक पहुंची।
- भारत अब तीसरा सबसे बड़ा उड्डयन बाजार बन चुका है।
सुरक्षा और प्रौद्योगिकी
- नई DFDR & CVR प्रयोगशाला की स्थापना दिल्ली में हुई है, जिससे हवाई दुर्घटनाओं की जांच अधिक प्रभावी होगी।
- डिजी यात्रा सेवा को 24 हवाई अड्डों पर विस्तारित किया गया है, जिससे 4 करोड़ से अधिक यात्राएं डिजिटल रूप से हो चुकी हैं।
- सीप्लेन संचालन के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं और 50 से अधिक जल निकायों से उड़ानों के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं।
हरित ऊर्जा और मानव संसाधन विकास
- 80 हवाई अड्डे 100% हरित ऊर्जा पर संचालित हो रहे हैं; लक्ष्य है 100 से अधिक हवाई अड्डों को इसमें शामिल करना।
- बेंगलुरु हवाई अड्डे को ACI लेवल 5 कार्बन एक्रेडिटेशन प्राप्त हुआ है।
- आने वाले 10-15 वर्षों में 30,000 से अधिक पायलटों की आवश्यकता होगी। इसके लिए नए प्रशिक्षण संस्थान खोले जा रहे हैं।
- छात्रों के लिए एविएशन करियर गाइडेंस प्रोग्राम की शुरुआत की गई है।
- 13–18% महिला पायलट, और 2025 तक सभी पदों पर 25% महिला भागीदारी का लक्ष्य।
MRO और कार्गो क्षेत्र को बढ़ावा
- एयरक्राफ्ट पार्ट्स पर 5% एकीकृत जीएसटी से भारत को वैश्विक MRO हब बनाने का रास्ता प्रशस्त।
- 8 मिलियन टन कार्गो क्षमता प्राप्त की जा चुकी है, जिसमें नाशवान वस्तुओं के लिए नए वेयरहाउस और कस्टम प्रक्रियाएं भी शामिल हैं।
विकसित भारत की ओर उड़ान
भारत की उड्डयन क्रांति सिर्फ हवाई अड्डों की संख्या बढ़ाने तक सीमित नहीं है—यह एक समावेशी, सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य की उड़ान है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भारत को वैश्विक हवाई मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर दिया है।
Share this articles