ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में विभिन्न आयोगों का गठन किया गया था, जिनका उद्देश्य प्रशासनिक, सामाजिक, आर्थिक, और शैक्षिक सुधार करना था। ये आयोग न केवल ब्रिटिश नीतियों और योजनाओं को प्रभावित करते थे, बल्कि भारत के भविष्य को भी आकार देते थे। निम्नलिखित आर्टिकल में ब्रिटिश काल के दौरान गठित प्रमुख आयोग और उनके कार्यों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
ब्रिटिश काल के दौरान गठित प्रमुख आयोग
ब्रिटिश शासन के दौरान गठित प्रमुख आयोग ने भारतीय शासन प्रणाली में व्यापक सुधारों की नींव रखी, जो स्वतंत्रता के बाद भी भारतीय प्रशासन और समाजिक संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे।
इनाम आयोग
वर्ष 1852 में स्थापित इनाम आयोग का मुख्य उद्देश्य उन ज़मीनों की पहचान करना था जिन्हें विभिन्न कारणों से इनाम के रूप में दिया गया था। इस आयोग ने कई ज़मीनों को सरकार के अधिकार में लाने का कार्य किया, जो कृषि व्यवस्था और राजस्व संग्रहण में सुधार के लिए महत्वपूर्ण था।
- स्थापना: 1852
- अध्यक्ष: इनाम
- वायसराय: लॉर्ड डलहौजी
स्ट्रेची आयोग
- स्थापना: 1880
- अध्यक्ष: रिचर्ड स्ट्रेची
- वायसराय: लॉर्ड लिटन
स्ट्रेची आयोग का गठन वर्ष 1876-78 के दौरान आए भीषण अकाल के पश्चात् किया गया था। इस आयोग का मुख्य उद्देश्य भविष्य में अकाल के प्रबंधन के लिए बेहतर नीतियों और उपायों को तैयार करना था। इसके साथ ही स्ट्रेची आयोग ने भारतीय कृषि और खाद्य सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया था।
हंटर आयोग
- स्थापना: 1882
- अध्यक्ष: विलियम हंटर
- वायसराय: लॉर्ड रिपन
हंटर आयोग का गठन भारतीय शिक्षा प्रणाली की समीक्षा और सुधार के लिए किया गया था। इस आयोग ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के महत्व पर बल दिया और शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधारों की सिफारिश किया था। इस आयोग की रिपोर्ट ने भारतीय शिक्षा में आधुनिकता की नींव रखी थी।
हरशेल आयोग
- स्थापना: 1893
- अध्यक्ष: हरशेल
- वायसराय: लॉर्ड लैंसडाउन
हरशेल आयोग का गठन मुद्रा और वित्तीय प्रणाली के सुधार के लिए किया गया था। इस आयोग ने भारतीय मुद्रा प्रणाली के टकसाल सम्बन्धी में स्थिरता लाने और वित्तीय संस्थानों के नियमन के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें दिया था।
लोयाल आयोग
- स्थापना: 1897
- अध्यक्ष: जेम्स लोयाल
- वायसराय: लॉर्ड एल्गिन
लियाड आयोग का गठन वर्ष 1880 के दुर्भिक्ष आयोग की रिपोर्ट का अध्धयन का सुझाव देने के लिए किया गया था।
मैकडोनल आयोग
- स्थापना: 1900
- अध्यक्ष: एंटोनी मैकडोनाल्ड
- वायसराय: लॉर्ड कर्जन
मैकडोनल आयोग का गठन स्ट्रेची आयोग की रिपोर्ट पर सुझाव देने के लिए हुआ था, इसके साथ ही इसने अकाल प्रबंधन और कृषि सुधारों के लिए सिफारिश था। इस आयोग ने कृषि उत्पादन बढ़ाने और किसानों की स्थिति सुधारने के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें दीं।
मोनक्रिफ आयोग
- स्थापना: 1901
- अध्यक्ष: वोल्विन स्कॉट मोनक्रिफ
- वायसराय: लॉर्ड कर्जन
मोनक्रिफ आयोग का मुख्य उद्देश्य सिंचाई और जल प्रबंधन में सुधार करना था। इस आयोग ने भारत में सिंचाई परियोजनाओं की योजना और क्रियान्वयन के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
फ्रेज़र आयोग
- स्थापना: 1902
- अध्यक्ष: फ्रेज़र
- वायसराय: लॉर्ड कर्जन
फ्रेज़र आयोग का गठन पुलिस सुधारों के लिए किया गया था। इस आयोग ने भारतीय पुलिस सेवा की कार्यक्षमता और प्रोफेशनलिज्म को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
रैले आयोग
- स्थापना: 1902
- अध्यक्ष: थॉमस रैले
- वायसराय: लॉर्ड कर्जन
रैले आयोग का गठन भारतीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए किया गया था। इस आयोग ने विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें दीं।
सैडलर आयोग
- स्थापना: 1917
- अध्यक्ष: सैडलर
- वायसराय: लॉर्ड चेम्सफोर्ड
सैडलर आयोग का गठन भारतीय विश्वविद्यालय शिक्षा की जांच और सुधार के लिए किया गया था। इस आयोग ने विश्वविद्यालय शिक्षा की संरचना और संगठन में व्यापक सुधारों की सिफारिश की।
शाही आयोग
- स्थापना: 1923
- अध्यक्ष: लॉर्ड ली
- वायसराय: लॉर्ड रीडिंग
शाही आयोग का गठन भारतीय संविधान और शासन प्रणाली में सुधार के लिए किया गया था। इस आयोग ने भारतीय प्रशासनिक ढांचे में सुधार और संविधान निर्माण के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें दीं।
सेंडहार्स्ट समिति
- स्थापना: 1925
- अध्यक्ष: एंड्रू स्कीन
- वायसराय: लॉर्ड रीडिंग
सेंडहार्स्ट समिति का गठन भारतीय सेना को भारतीयकरण करने सम्बन्धी सुधार और भारतीय सैनिकों के लिए बेहतर प्रशिक्षण और सेवाओं की सिफारिश के लिए किया गया था।
बटलर आयोग
- स्थापना: 1927
- अध्यक्ष: हार्टकोर्ट बटलर
- वायसराय: लॉर्ड इरविन
बटलर आयोग का गठन ब्रिटिश परमसत्ता (paramountcy) और भारतीय रियासतों के बीच संबंधों की समीक्षा लिए किया गया था। इस आयोग ने रियासतों की स्वायत्तता और उनके शासन में सुधार के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें दीं।
व्हिटेले आयोग
- स्थापना: 1929
- अध्यक्ष: जे. एच. व्हिटेले
- वायसराय: लॉर्ड रीडिंग
व्हिटेले आयोग का गठन भारतीय मजदूरों और औद्योगिक संबंधों की जांच के लिए किया गया था। इस आयोग ने मजदूरों के अधिकारों और औद्योगिक विवादों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें दीं।
लिंडसे आयोग
- स्थापना: 1929
- अध्यक्ष: लिंडसे
- वायसराय: लॉर्ड रीडिंग
लिंडसे आयोग का गठन मिशनरी शिक्षा के विकास के लिए किया गया था.
सप्रू आयोग
- स्थापना: 1934
- अध्यक्ष: तेज बहादुर सप्रू
- वायसराय: लॉर्ड वेलिंग्टन
सप्रू आयोग का गठन वर्ष 1934 में गठन किया गया था. इस आयोग ने संयुक्त राज्य में बेरोजगारी के कारणों के अध्ययन के लिए अपना सुझाव दिया था. इसके साथ ही वर्ष 1945 में सप्रू रिपोर्ट जारी हुआ था, इस रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों के राजनितिक अधिकार की सिफारिश किया था।
बूडहेड आयोग
- स्थापना: 1943-44
- अध्यक्ष: सर जॉन बूडहेड
- वायसराय: लॉर्ड बेवल
बूडहेड आयोग का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था और उद्योग की स्थिति की जांच के लिए किया गया था। इस आयोग ने बंगाल दुर्भिक्ष के कारणों की जांच भी किया था.
ब्रिटिश काल के दौरान गठित प्रमुख आयोग की सूची
ब्रिटिश काल के दौरान भारतीय प्रशासन और समाज में सुधार लाने के लिए विभिन्न आयोगों का गठन किया गया। इन आयोगों ने न केवल औपनिवेशिक शासन की नीतियों को प्रभावी बनाने का कार्य किया बल्कि भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं जैसे शिक्षा, कृषि, पुलिस, और प्रशासन में भी महत्वपूर्ण सुधारों की सिफारिश किया था। इस आर्टिकल के नीचे ब्रिटिश काल के दौरान गठित प्रमुख आयोग की सूची दी गई है. यह सूची आगामी सभी परीक्षाओं के लिए उपयोगी साबित होंगी.
ब्रिटिश काल के दौरान गठित आयोग |
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आयोग | स्थापना | अध्यक्ष | वायसराय |
इनाम आयोग | 1852 | इनाम | लार्ड डलहौजी |
स्ट्रेची आयोग | 1880 | रिचर्ड स्ट्रेची | लार्ड लिटन |
हंटर आयोग | 1882 | विलियम हंटर | लार्ड रिपन |
हरशेल आयोग | 1893 | हरशेल | लार्ड लैंसडाउन |
लियाड आयोग | 1897 | जेम्स लियाड | लार्ड एल्गिन |
मैकडोनल आयोग | 1900 | एंटोनी मक्डोनाल्ड | लार्ड कर्जन |
मोनक्रिफ आयोग | 1901 | वोल्विन स्कॉट मौनफ्रिक | लार्ड कर्जन |
फ्रेज़र आयोग | 1902 | फ्रेजर | लार्ड कर्जन |
रैले आयोग | 1902 | थामस रेले | लार्ड कर्जन |
सैडलर आयोग | 1917 | सैडलर | लार्ड चेम्सफोर्ड |
शाही आयोग | 1923 | लार्ड ली | लार्ड रीडिंग |
सेंडहार्स्ट समिति | 1925 | एंड्रू स्कीन | लार्ड रीडिंग |
बटलर आयोग | 1927 | हार्टकोर्ट बटलर | लार्ड इरविन |
व्हिटेले आयोग | 1929 | जे. एच. व्हिटेले | लार्ड रीडिंग |
लिंडसे आयोग | 1929 | लिंडसे | लार्ड रीडिंग |
सप्रू आयोग | 1934 | तेज बहादुर सप्रू | लार्ड वेलिंग्टन |
बूडहेड आयोग | 1943-44 | सर जॉन बूडहेड | लार्ड बेवल |
ब्रिटिश शासन का उद्देश्य भले ही अपने हितों को साधना था, लेकिन इन आयोगों की सिफारिशों ने भारतीय समाज को आधुनिकता और प्रगति की दिशा में अग्रसर किया। इन आयोगों की रिपोर्ट्स और सिफारिशें आज भी भारतीय प्रशासनिक और सामाजिक ढांचे में संदर्भ के रूप में उपयोग की जाती हैं।