आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24
Economic Survey 2023-24- (आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24)- केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत 22 जुलाई को संसद में पेश किया गया था। यह सर्वेक्षण भारत के आर्थिक प्रदर्शन और भविष्य के दृष्टिकोण का विस्तृत अवलोकन प्रदान करता है।
अर्थव्यवस्था की स्थिति
अर्थव्यवस्था की स्थिति: आर्थिक सर्वेक्षण 6.5-7% की वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाता है। वित्त वर्ष 24 में वास्तविक जीडीपी 8.2% बढ़ी और जीवीए 7.2% बढ़ा। मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 24 में 5.4% तक कम हो गई और चालू खाता घाटा (CAD) सुधरकर GDP का 0.7% हो गया। महामारी के बाद की रिकवरी भी उल्लेखनीय रही।
मौद्रिक प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थता: बैंकिंग क्षेत्र ने असाधारण प्रदर्शन किया, नीति दर स्थिर रही और ऋण वितरण में 20.2% की वृद्धि हुई। गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (एनपीए) निचले स्तर पर हैं, और वित्तीय समावेशन के लिए डिजिटल वित्तीय समावेशन (DFI) पर ध्यान दिया गया है।
मुद्रास्फीति: समय पर नीतिगत हस्तक्षेप के कारण, खुदरा मुद्रास्फीति 5.4% पर बनी रही। ईंधन की कीमतों में कटौती की गई और खाद्य मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 24 में 7.5% हो गई। गतिशील स्टॉक प्रबंधन और खुले बाजार संचालन ने मुद्रास्फीति को कम करने में मदद की।
बाहरी क्षेत्र: भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद, भारत का बाहरी क्षेत्र मजबूत बना रहा। लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में सुधार हुआ और चालू खाता घाटा GDP का 0.7% हो गया। सेवा निर्यात और प्रेषण में वृद्धि हुई। बाहरी ऋण जीडीपी अनुपात में 18.7% था।
मध्यम अवधि का दृष्टिकोण: नौकरी और कौशल सृजन, कृषि क्षमता, MSME अड़चनें, हरित संक्रमण, चीन के साथ संबंधों का प्रबंधन और असमानता से निपटने पर ध्यान दिया गया है। अमृत काल रणनीति में छह प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं: निजी निवेश, MSME विस्तार, कृषि, हरित संक्रमण, शिक्षा-रोजगार अंतर और राज्य क्षमता निर्माण।
जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संक्रमण: भारत एकमात्र G20 राष्ट्र है जो 2 डिग्री सेंटीग्रेड वार्मिंग के साथ संरेखित है और जलवायु कार्रवाई के मान्यता प्राप्त है।
यह आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 भारत की आर्थिक स्थिति का व्यापक और गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में हुई प्रगति और भविष्य की संभावनाओं का आकलन शामिल है।