गंगेटिक डॉल्फ़िन (Gangetic Dolphin): जानिये भारत की राष्ट्रीय जलीय धरोहर को

गंगेटिक डॉल्फ़िन (Gangetic Dolphin): जानिये भारत की राष्ट्रीय जलीय धरोहर को

गंगेटिक डॉल्फ़िन (Gangetic Dolphin) (Platanista gangetica), जिसे गंगा डॉल्फ़िन, सूसु (Susu), हिहू (Hihu) और अंधी डॉल्फ़िन के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया की सबसे पुरानी जीवित मीठे पानी की डॉल्फ़िन में से एक है। यह न केवल एक प्यारी (cute Gangetic dolphin) जलीय प्रजाति है, बल्कि इसे भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जलीय जीव का दर्जा भी प्राप्त है.

गंगेटिक डॉल्फ़िन UPSC – महत्वपूर्ण तथ्य

  • वैज्ञानिक नाम: Platanista gangetica
  • IUCN स्थिति: संकटग्रस्त (Endangered)
  • प्राकृतिक आवास: गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना, घाघरा, कोसी, गंडक, रुपनारायण, चंबल आदि नदियाँ
  • देश: भारत, नेपाल और बांग्लादेश
  • जनसंख्या: 6,327 (2021–2023 के बीच अनुमान)
  • संवेदनशीलता: केवल मीठे पानी में जीवित रह सकती है, और अंधी होती है

क्या गंगेटिक डॉल्फ़िन अंधी होती है?

हाँ, गंगेटिक डॉल्फ़िन अंधी होती है। इनकी आंखें केवल प्रकाश का आभास कर सकती हैं, पर देख नहीं सकतीं। ये अल्ट्रासोनिक साउंड वेव्स (echolocation) के ज़रिए शिकार करती हैं। यह ध्वनि मछलियों या अन्य शिकार से टकराकर लौटती है और उनके दिमाग में एक दृश्य चित्र बनाती है।

गंगेटिक डॉल्फ़िन की विशेषता क्या है?

  • यह डॉल्फ़िन एक तरफ झुककर तैरती है, जिससे उसका एक पंख नीचे की गाद को छूता है — माना जाता है कि इससे उसे शिकार खोजने में मदद मिलती है।
  • यह हर 30 से 120 सेकंड में सतह पर आकर साँस लेती है।
  • साँस लेते समय यह “सूसु” जैसी आवाज़ निकालती है, इसलिए इसे स्थानीय लोग ‘सूसु’ कहते हैं।

गंगेटिक डॉल्फ़िन (Gangetic Dolphin) भारत में कहाँ पाई जाती है?

भारत में गंगेटिक डॉल्फ़िन मुख्यतः निम्नलिखित नदियों में पाई जाती है:

  • गंगा नदी और इसकी सहायक नदियाँ — घाघरा, कोसी, गंडक, यमुना, चंबल, रुपनारायण
  • राज्य — उत्तर प्रदेश (सबसे अधिक), बिहार, पश्चिम बंगाल, असम
  • Gangetic dolphin in India map के अनुसार, ये मुख्यतः गंगा-ब्रह्मपुत्र-बराक नदी तंत्र में मिलती हैं।

गंगेटिक डॉल्फ़िन क्यों अंधी होती है?

गंगा जैसी नदियों का गंदला और कीचड़ युक्त पानी वर्षों से इनके आवास का हिस्सा रहा है। इसने उनकी दृष्टि को अनुपयोगी बना दिया, जिससे आंखें धीरे-धीरे अविकसित हो गईं और उन्होंने ध्वनि पर निर्भर होना शुरू कर दिया।

गंगेटिक डॉल्फ़िन के लिए खतरे

  1. मछली पकड़ने के जाल में फंसकर मौत
  2. शिकार — खासकर तेल निकालने के लिए, जो मछलियों को आकर्षित करने और पारंपरिक दवाओं में प्रयोग होता है।
  3. आवास विनाश — बांध, बैराज, प्रदूषण, जल निकासी आदि से।
  4. ध्वनि प्रदूषण — नावों और जहाजों के शोर से सोनार प्रणाली बाधित होती है।
  5. जनसंख्या का विखंडन — बांधों और बैराजों से प्रजातियों के बीच संपर्क टूटता है।

संरक्षण प्रयास

  • Project Dolphin (2020) – केंद्र सरकार द्वारा आरंभ किया गया मिशन, गंगेटिक डॉल्फ़िन की रक्षा हेतु।
  • Global Declaration for River Dolphins – एशिया और दक्षिण अमेरिका के देशों द्वारा एक वैश्विक पहल।
  • WWF और राज्य वन विभागों द्वारा जनसंख्या सर्वेक्षण, जागरूकता, संरक्षण क्षेत्रों का विकास।

हालिया जनगणना

  • 2021–2023 के दौरान हुई पहली व्यापक गणना के अनुसार:
  • कुल गंगेटिक डॉल्फ़िन: 6,327
  • सर्वाधिक संख्या: उत्तर प्रदेश
  • अन्य राज्य: बिहार, पश्चिम बंगाल, असम
  • सर्वे दूरी: 8,507 किमी

गंगेटिक डॉल्फ़िन बनाम इरावड्डी डॉल्फ़िन

विशेषता गंगेटिक डॉल्फ़िन इरावड्डी डॉल्फ़िन
वैज्ञानिक नाम Platanista gangetica Orcaella brevirostris
आवास केवल मीठा पानी खारा पानी, मुहाने और तटीय क्षेत्र
दृष्टि अंधी सामान्य दृष्टि
व्यवहार अकेली या माँ-बच्चे की जोड़ी झुंड में
भारत में वितरण गंगा-ब्रह्मपुत्र प्रणाली चिल्का झील, सुंदरबन
IUCN स्थिति संकटग्रस्त (Endangered) अति संवेदनशील (Vulnerable)

निष्कर्ष

गंगेटिक डॉल्फ़िन केवल एक जीव नहीं, बल्कि नदी पारिस्थितिकी तंत्र की सेहत का संकेतक है। जहाँ ये जीवित हैं, वहाँ जल, मछली और मानव जीवन भी फल-फूल रहे हैं। सरकार, पर्यावरण संगठन और स्थानीय समुदाय मिलकर इनके संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं — ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ भी इस अद्भुत प्राणी को देख सकें और भारत की जलीय विरासत पर गर्व कर सकें।

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