
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में एनीमिया (Anemia) की स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है, जिसमें चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, भारत के 67.1% बच्चे (6–59 माह) और 59.1% किशोर लड़कियाँ (10–19 वर्ष) एनीमिया से पीड़ित हैं। यह रिपोर्ट देश के पोषण स्तर पर एक गंभीर सवाल खड़ा करती है।
महिलाओं और बच्चों में एनीमिया (Anemia) की स्थिति चिंताजनक
रिपोर्ट में बताया गया है कि हर 4 में से 3 महिलाएं आहार में पर्याप्त आयरन नहीं लेतीं, जिससे वे एनीमिया का शिकार बनती हैं। इसके चलते न सिर्फ उनकी कार्यक्षमता घटती है, बल्कि गर्भावस्था के दौरान मातृ और शिशु मृत्यु दर का खतरा भी बढ़ जाता है।
एनीमिया के लक्षण
एनीमिया के लक्षणों में थकान, शारीरिक कार्य क्षमता में कमी, और सांस की कमी शामिल हैं। यह पोषण की कमी और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत है। एनीमिया के सामान्य और गैर-विशिष्ट लक्षणों में थकान, चक्कर आना या हल्का महसूस होना, ठंडी हाथ और पैर, सिरदर्द और विशेष रूप से शारीरिक exertion के दौरान सांस की कमी शामिल हैं।
एनीमिया की भयावह स्थिति: भारत और विश्व के आंकड़ों में
भारत में:
- 6–59 महीने के 67.1% बच्चे एनीमिया से पीड़ित
- 59.1% किशोर लड़कियां (10–19 वर्ष) एनीमिक
- 3 में से 1 किशोर लड़का भी एनीमिया से प्रभावित
- हर 4 में से 3 महिलाएं लोहे की कमी वाला भोजन लेती हैं
- 15–49 वर्ष की उम्र की 57% महिलाएं एनीमिक हैं (NFHS-5)
विश्व स्तर पर:
- 500 मिलियन महिलाएं (15–49 वर्ष) एनीमिया ग्रस्त
- 269 मिलियन बच्चे (6–59 माह) दुनिया भर में इससे प्रभावित
- 30% गैर-गर्भवती महिलाएं और 37% गर्भवती महिलाएं वैश्विक स्तर पर एनीमिक (WHO, 2019)
प्रमुख 6 हस्तक्षेप (Interventions):
आयरन-फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन:
- बच्चों को सिरप, स्कूली बच्चों को गुलाबी टैबलेट
- किशोरों को नीली टैबलेट, महिलाओं को लाल टैबलेट
- गर्भवती महिलाओं को दैनिक खुराक (दूसरे तिमाही से शुरू)
राष्ट्रीय कृमिनाशक दिवस (NDD):
- 10 फरवरी और 10 अगस्त को साल में दो बार
- 1–19 वर्ष तक के सभी बच्चों व किशोरों को डिवार्मिंग दवा
व्यवहार परिवर्तन अभियान:
- “Solid Body, Smart Mind” अभियान
- खानपान, स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच पर फोकस
डिजिटल स्वास्थ्य निगरानी:
- मोबाइल ऐप्स और डेटा पोर्टल्स से स्क्रीनिंग और आपूर्ति की निगरानी
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पॉइंट-ऑफ-केयर टेस्टिंग
फोर्टिफाइड भोजन:
- सरकार द्वारा पोषित योजनाओं (मिड-डे मील, ICDS) में आयरन युक्त खाद्य पदार्थों की अनिवार्यता
गैर-पोषण कारणों पर फोकस:
- मलेरिया, हेमोग्लोबिनोपैथी (जैसे थैलेसीमिया), और फ्लोरोसिस जैसी स्थितियों की पहचान और इलाज
एनीमिया मुक्त भारत: सरकार की 6x6x6 रणनीति
सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए 2018 में ‘एनीमिया मुक्त भारत (AMB)’ अभियान की शुरुआत की थी, जो अब देशभर में सक्रिय है।
इस रणनीति के अंतर्गत:
6 लक्षित समूह: छोटे बच्चे, किशोर, गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं, और प्रजनन आयु की महिलाएं
6 प्रमुख हस्तक्षेप: आयरन-फोलिक एसिड पूरकता, डिवार्मिंग, व्यवहार परिवर्तन अभियान, डिजिटल स्क्रीनिंग, फोर्टिफाइड भोजन, और गैर-पोषण कारणों का इलाज
6 संस्थागत स्तर: ग्राम, ब्लॉक, जिला, राज्य, केंद्र और अंतर्विभागीय समन्वय
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निष्कर्ष: रिपोर्ट से स्पष्ट संदेश
सरकार की यह रिपोर्ट दर्शाती है कि एनीमिया अब सिर्फ एक स्वास्थ्य मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विकास से जुड़ा सामाजिक और आर्थिक मसला बन चुका है। ‘एनीमिया मुक्त भारत‘ केवल एक स्वास्थ्य योजना नहीं, बल्कि पीढ़ियों के स्वास्थ्य में निवेश है। स्वस्थ शरीर, सशक्त भारत की परिकल्पना तभी साकार होगी, जब हर बच्चा और हर महिला आयरन और पोषण की कमी से मुक्त होगी।
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