भारत में चीतों (Cheetah) को लेकर चल रहे सबसे बड़े वन्यजीव पुनर्वास परियोजना के तहत अब कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) से कुछ चीतों को गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (Gandhi Sagar Wildlife Sanctuary) स्थानांतरित किया जाएगा।
Cheetah Project Steering Committee ने इस योजना को मंज़ूरी दे दी है और पहले चरण में 4-5 चीतों को गांधी सागर में एक घिरे हुए क्षेत्र में छोड़ा जाएगा।
प्रमुख उद्देश्य:
- कूनो में अत्यधिक भीड़भाड़ और शिकारी प्रजातियों (जैसे तेंदुए) की अधिकता से बचाव
- गांधी सागर में बाड़ाबंद क्षेत्र में 4-5 चीतों को सुरक्षित रिलीज़
- लंबी अवधि में गांधी सागर को एक Cheetah Conservation Landscape में विकसित करना
चीतों के पुनःस्थापन से क्या मिलेगा भारत को?
- घास के मैदान और खुले जंगलों का पुनरुद्धार
- जैव विविधता में वृद्धि
- जल सुरक्षा, मिट्टी में नमी संरक्षण, और कार्बन अवशोषण जैसे पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में सुधार
- स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका के नए अवसर जैसे ईको-टूरिज्म
पर्यावरण संरक्षण में भारत की उपलब्धियाँ: एक नजर
संरक्षित क्षेत्रों (Protected Areas) में वृद्धि
- 2014 में 4.90% से बढ़कर अब 5.03% (भू-क्षेत्र का हिस्सा)
- 2014 में 740 क्षेत्र → अब 981 क्षेत्र
- कुल क्षेत्रफल: 1,71,921 वर्ग किमी
वन और वृक्ष आवरण में वृद्धि
- पिछले 4 वर्षों में 16,000 वर्ग किमी की वृद्धि
- भारत दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल है जहाँ वन क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है
- सामुदायिक भंडारण क्षेत्र (Community Reserves)
- 2014 में सिर्फ 43 → 2019 तक 100+
बाघ (Tigers)
- भारत में 75% वैश्विक बाघ जनसंख्या
- 2014 में 2,226 → 2018 में 2,967 (2022 लक्ष्य से 4 साल पहले!)
- बाघ संरक्षण बजट: ₹185 करोड़ (2014) → ₹300 करोड़ (2022)
एशियाटिक शेर (Asiatic Lions)
- 2015 में 523 → 2020 में 674 (28.87% वृद्धि)
तेंदुआ (Leopards)
- 2014 में 7,910 → 2020 में 12,852 (60% से अधिक वृद्धि)
गांधी सागर अभयारण्य क्यों उपयुक्त है?
- 64 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र चीतों के लिए तैयार किया गया है
- क्षेत्र को घेर कर तेंदुए और अन्य शिकारी प्रजातियों को हटा दिया गया है
- शिकार प्रजातियों जैसे नीलगाय, चीतल, सांभर आदि की संख्या बढ़ाई गई है
- लंबी अवधि में इसे एक Cheetah Conservation Landscape के रूप में विकसित करने की योजना है
चीतों का स्थानांतरण कैसे होगा?
- चीतों को सड़क मार्ग से विशेष सुरक्षा में गांधी सागर ले जाया जाएगा
- गर्मी और तनाव को देखते हुए सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई है
- उन्हें पहले एक फेन्स्ड एरिया (बाड़े में बंद) में छोड़ा जाएगा
- धीरे-धीरे उन्हें खुले जंगल में छोड़ने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी
मिशन चीता: अब तक की यात्रा
- यह परियोजना 2022 में शुरू हुई थी
- नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीतों को भारत लाया गया
- कूनो नेशनल पार्क में इन्हें बसाया गया था
- कुछ चीतों की मृत्यु के बावजूद, कई अब भी स्वस्थ हैं और शावक भी पैदा हुए हैं
भारत ने यह दिखा दिया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति, वैज्ञानिक सोच और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से विलुप्त हो चुके जानवरों की वापसी संभव है।
चीतों की वापसी और उनके लिए उपयुक्त पर्यावरणीय ढांचा तैयार करना न सिर्फ जैव विविधता की रक्षा है, बल्कि यह हरित भारत की ओर एक ऐतिहासिक कदम है।
क्या आप मानते हैं कि चीतों की वापसी भारत के लिए गौरव की बात है?
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