भारत में शिक्षा पर गठित आयोग व समिति की सूची

भारत में शिक्षा पर गठित आयोग व समिति की सूची: जानिए भारत के शिक्षा की बदली हुई तस्वीर के इतिहास को

भारत में शिक्षा सुधारों का इतिहास काफी पुराना और समृद्ध है जिसमें विभिन्न आयोगों और समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अंग्रेजों के शासनकाल से लेकर वर्तमान समय तक शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने और समय के अनुसार परिवर्तित करने के उद्देश्य से कई आयोगों और समितियों का गठन किया गया। इन आयोगों और समितियों ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस लेख में भारत में गठित प्रमुख शिक्षा आयोग और समिति का विस्तृत विवरण  दी गई है.

भारत में शिक्षा पर गठित आयोग व समिति

भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन में शिक्षा के प्रोत्साहन एवं विकास के लिए कुछ प्रयास किये गए थे. इन प्रयासों से भारत में शिक्षा पर गठित आयोग व समिति ने शिक्षा की रूप रेखा बदल कर दिया जिससे भारत के लोगों में आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के तरफ ध्यान आकर्षित हुआ.

मैकाले का स्मरण पत्र, 1835 (Lord Macaulay’s minute)

लार्ड मैकाले द्वारा वर्ष 2 फरवरी 1835 में प्रस्तुत यह पत्र भारतीय शिक्षा में एक बड़ा मोड़ था। मैकाले ने सुझाव दिया था कि भारतीयों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा दी जानी चाहिए और भारतीय भाषाओं को महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। यह शिक्षा नीति ब्रिटिश शासन की प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गई थी ताकि अंग्रेजी जानने वाले भारतीय प्रशासन में काम कर सकें। इस सिद्धांत को अधोगामी विप्रवेशन सिद्धांत ( Downward infiltration Theory) के नाम से जाना गया.



थॉमसन का प्रयास

जेम्स थॉमसन ने वर्ष 1843-53 के बीच भारतीय शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए प्रयास किया था। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में देशी भाषा में शिक्षा के प्रसार पर जोर दिया और स्थानीय स्तर पर प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था की। उनका उद्देश्य था कि ग्रामीण जनता को भी शिक्षा का अवसर मिले ताकि वे सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें।

चार्ल्स वुड का घोषणा पत्र – 1854

चार्ल्स वुड के वर्ष 1854 के शिक्षा घोषणापत्र को भारतीय शिक्षा का मैग्ना कार्टा कहा जाता है। इस घोषणा पत्र में शिक्षा के सभी स्तरों – प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा – पर ध्यान दिया गया। इसके तहत विश्वविद्यालयों की स्थापना, अध्यापक प्रशिक्षण, महिला शिक्षा और तकनीकी शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया था। यह घोषणा पत्र भारतीय शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था जिसने शिक्षा के ढांचे को स्थापित किया।

स्टेनली घोषणा पत्र

लार्ड स्टेनली ने वर्ष 1859 में यह घोषणा किया था. इसका उद्देश्य भारतीय शिक्षा को ज्यादा व्यापक बनाना था। इस घोषणा पत्र में विशेष रूप से धार्मिक शिक्षा के प्रभाव को कम करने और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया गया। इस नीति का प्रभाव यह हुआ कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा को धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से प्रदान किया जाने लगा।

हंटर कमीशन

वर्ष 1882 में विलियम हंटर की अध्यक्षता में गठित इस आयोग का मुख्य उद्देश्य भारत में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की स्थिति का अध्ययन करना था। इस आयोग ने सुझाव दिया कि प्राथमिक शिक्षा को स्थानीय भाषाओं में प्रदान किया जाना चाहिए और सरकार को प्राथमिक शिक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहिए। साथ ही महिला शिक्षा और मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष शिक्षा योजनाओं पर भी जोर दिया गया था।



रैले आयोग

लार्ड कर्ज़न ने वर्ष 1902 में रैले आयोग का गठन किया था जिसका उद्देश्य विश्वविद्यालय के शिक्षा प्रणाली का पुनर्गठन करना था। इस आयोग ने विश्वविद्यालयों में प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया और सुझाव दिया कि उच्च शिक्षा के स्तर को बनाए रखने के लिए सख्त मानकों का पालन किया जाए। इसके परिणामस्वरूप वर्ष 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित हुआ।

भारतीय विश्व विद्यालय आयोग

वर्ष 1902 में लार्ड कर्ज़न की अध्यक्षता में गठित इस आयोग ने भारतीय विश्वविद्यालयों की शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए कई सिफारिशें कीं। इसका उद्देश्य भारतीय विश्वविद्यालयों को ब्रिटिश विश्वविद्यालयों की तर्ज पर विकसित करना था ताकि भारतीय छात्र वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। हालांकि यह आयोग छात्रों और शिक्षकों के बीच विवाद का कारण भी बना क्योंकि इसे भारतीय शिक्षा प्रणाली के ब्रिटिशीकरण का प्रयास माना गया।

नई शिक्षा नीति

सरकारी प्रस्ताव के रूप में वर्ष 1913 में नई शिक्षा नीति लागू की गई। इसका उद्देश्य शिक्षा में गुणवत्ता सुधारना और शिक्षा को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाना था। इस नीति के तहत शिक्षा प्रणाली में कुछ नए सुधार किए गए जैसे तकनीकी शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा पर जोर देना।

सैडलर आयोग

माइकिल सैडलर की अध्यक्षता में वर्ष 1917-19 में गठित सैडलर आयोग ने विश्वविद्यालय शिक्षा की समीक्षा की और सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय शिक्षा से पहले दो साल का एक इंटरमीडिएट पाठ्यक्रम होना चाहिए। इसने उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कई सिफारिशें कीं जिनमें कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना शामिल था।

इंचकैप आयोग

लार्ड रीडिंग की अध्यक्षता में वर्ष 1923 में गठित इस आयोग ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए कई सिफारिशें किया था। इसका उद्देश्य भारतीय शिक्षा को और अधिक व्यावहारिक और रोजगारपरक बनाना था ताकि छात्र शिक्षा पूरी करने के बाद रोजगार के योग्य बन सकें।



हार्टोग समिति

वर्ष 1929 में सर फिलिप हार्टोग की अध्यक्षता में गठित इस समिति का उद्देश्य भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना था। इस समिति ने शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया और प्राथमिक शिक्षा के विस्तार के साथ-साथ माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने पर भी ध्यान दिया।

लिंडसे आयोग

लार्ड इरविन की अध्यक्षता में इस आयोग का गठन वर्ष 1929 में किया गया था. जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली के संगठनात्मक ढांचे का अध्ययन करना था। इस आयोग ने शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधारों की सिफारिश की और उच्च शिक्षा में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

एवट-वुड रिपोर्ट

वर्ष 1936 में एस एच वुड और ए एवट की अध्यक्षता में इस रिपोर्ट ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए कई सुझाव दिए। इस रिपोर्ट ने विशेष रूप से व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा के महत्व पर जोर दिया ताकि छात्रों को रोजगार के योग्य बनाया जा सके।

डॉ जाकिर हुसैन समिति

डॉ जाकिर हुसैन की अध्यक्षता में वर्ष 1937 गठित इस समिति ने भारत में बुनियादी शिक्षा के महत्व को पहचाना। इसने महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तावित बुनियादी शिक्षा योजना (वर्धा योजना) का समर्थन किया था, जिसमें शिक्षा को व्यावहारिक और कौशल आधारित बनाया गया।



वर्धा स्कीम

महात्मा गांधी की प्रेरणा से वर्ष 1937 में वर्धा योजना शुरू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा को कौशल आधारित और समाजोपयोगी बनाना था। इस योजना के तहत छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा प्रदान की जाती थी, जैसे कि कृषि, हस्तशिल्प, और अन्य उत्पादक कार्य।

खेर समिति

बी जी खेर की अध्यक्षता में गठित इस समिति ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए कई सुझाव दिए। इस समिति का मुख्य उद्देश्य था कि भारतीय छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जाए और शिक्षा को सामाजिक और आर्थिक विकास का माध्यम बनाया जाए।

सार्जेंट आयोग

सर जॉन सार्जेंट की अध्यक्षता में गठित इस आयोग का उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार करना था। इस आयोग ने सुझाव दिया कि प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य बनाया जाए और माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर किया जाए।

राधाकृष्णन आयोग

डॉ एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में वर्ष 1948 में गठित इस आयोग का मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षा में सुधार करना था। इसने भारतीय विश्वविद्यालयों की स्थिति का अध्ययन किया और सुझाव दिया कि उच्च शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाया जाए, ताकि छात्र वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।

कोठारी आयोग

वर्ष 1964 में डॉ डी एस कोठारी की अध्यक्षता में गठित इस आयोग ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को एकीकृत करने और शिक्षा के विभिन्न स्तरों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें कीं थी। इसने शिक्षा को राष्ट्रीय एकता और विकास का माध्यम बताया।



राष्ट्रीय शिक्षा नीति

वर्ष 1968 में भारत की पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई, जिसका उद्देश्य शिक्षा के स्तर को सुधारना और इसे समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाना था। इसके तहत विज्ञान और तकनीकी शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया।

नवीन शिक्षा नीति

वर्ष 1986 में लागू की गई इस शिक्षा नीति ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार किए। इस नीति ने छात्रों के समग्र विकास और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर जोर दिया।

राममूर्ति समिति

आचार्य राममूर्ति की अध्यक्षता में वर्ष 1990 में गठित इस समिति ने शिक्षा में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इसने शिक्षा के समग्र दृष्टिकोण पर बल दिया और सुझाव दिया कि शिक्षा को सामाजिक और आर्थिक विकास का माध्यम बनाया जाए।

भारत में शिक्षा पर गठित आयोग व समिति की सूची

भारत में शिक्षा पर गठित आयोग समिति
आयोग/समितियां अध्यक्ष वर्ष
मैकाले शिक्षा पत्र लार्ड मैकाले 1935
थामसन का प्रयास जेम्स थामसन 1843-53
चार्ल्स वुड का घोषणा पत्र चार्ल्स वुड 1854
स्टेनली घोषणा पत्र लार्ड स्टेनली 1859
हंटर कमीशन विलियम हंटर 1882
रैले आयोग लार्ड कर्जन 1902
भारतीय विश्व विद्यालय आयोग लार्ड कर्जन 1902
नई शिक्षा नीति सरकारी प्रस्ताव 1913
सैडलर आयोग माइकिल सैडलर 1917-19
इंचकैप आयोग लार्ड रीडिंग 1923
हार्टोग समिति सर फिलिप हर्टोग 1929
लिंडसे आयोग लार्ड इरविन 1929
एवट-वुड रिपोर्ट एस एच वुड व ए एवट 1936
डॉ जाकिर हुसैन समिति डॉ जाकिर हुसैन 1937
वर्धा स्कीम महात्मा गाँधी 1937
खेर समिति बी जी खेर 1938
सार्जेंट आयोग सर जॉन सार्जेंट 1944
राधाकृष्णन आयोग डॉ एस राधाकृष्णन 1948
मुदालियर आयोग डॉ. के. एल. श्रीमाली 1952
नरेन्द्र देव समिति आचार्य नरेन्द्र देव 1953
श्रीमाली समिति डॉ के. एल. श्रीमाली 1954
कोठारी आयोग डॉ. डी. एस. कोठारी 1964
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968
नवीन शिक्षा नीति 1986
राममूर्ति समिति आचार्य राममूर्ति 1990
यशपाल समिति प्रो यशपाल 2008
कस्तुरीरंजन समिति टी एस आर कस्तुरीरंजन 2016
नई शिक्षा नीति 2020

 

Also Related Articles

1757 से 1857 तक के विद्रोह की सूची

 बारडोली सत्याग्रह

आंग्ल-मराठा युद्ध

आंग्ल-मैसूर युद्ध
आंग्ल-फ्रांसीसी युद्ध

प्रसिद्ध पुस्तकों और लेखकों की सूची

भारत के प्रमुख मजदूर संगठन एवं फैक्ट्री अधिनियम

कांग्रेस के स्थापना के पूर्व राजनीतिक संगठन की सूची



Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *