
भारत ने स्टील आयात ( Steel Import) पर 12% टैरिफ लगाया: घरेलू उद्योग को बचाने की बड़ी पहल
भारत सरकार ने घरेलू स्टील उद्योग को सस्ते और भारी मात्रा में हो रहे स्टील आयात से बचाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने गैर-मिश्रधातु और मिश्रधातु स्टील फ्लैट उत्पादों पर 12% का अस्थायी सुरक्षा शुल्क (Safeguard Duty) लगाने का ऐलान किया है। यह निर्णय 21 अप्रैल 2025 से लागू हो चुका है और शुरू में 200 दिनों के लिए प्रभावी रहेगा।
पृष्ठभूमि और वजह
वित्तीय वर्ष 2024–25 में भारत ने लगभग 9.5 मिलियन मीट्रिक टन तैयार स्टील का आयात किया, जो लगभग एक दशक में सबसे अधिक है। यह लगातार दूसरा साल था जब भारत स्टील का नेट आयातक बना।
दिसंबर 2024 में व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) ने जांच शुरू की थी। जांच में पाया गया कि कुछ देशों से स्टील उत्पाद घरेलू कीमतों से बहुत कम दर पर आ रहे थे, जिससे भारतीय कंपनियों को गंभीर नुकसान हो रहा था। इसी आधार पर वित्त मंत्रालय ने यह अस्थायी शुल्क लगाने की मंजूरी दी।
किन उत्पादों पर लागू होगा यह शुल्क?
यह टैरिफ निम्नलिखित उत्पादों पर लागू होगा:
- हॉट-रोल्ड कॉइल्स, शीट्स और प्लेट्स
- हॉट-रोल्ड प्लेट मिल प्लेट्स
- कोल्ड-रोल्ड कॉइल्स और शीट्स
- मेटालिक कोटेड स्टील कॉइल्स और शीट्स
- कलर-कोटेड स्टील उत्पाद
इन उत्पादों को सबसे अधिक नुकसान हो रहा था क्योंकि इनकी आयातित कीमतें घरेलू लागत से भी कम थीं।
सरकार और उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
केंद्रीय इस्पात मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे “बाजार में न्यायपूर्ण प्रतिस्पर्धा बहाल करने की समय पर पहल” बताया।
टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, सेल और आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया जैसी बड़ी कंपनियों ने भी इस कदम का समर्थन किया है। हालांकि, कुछ औद्योगिक संगठनों का मानना है कि 12% शुल्क पर्याप्त नहीं है और इससे अधिक टैरिफ की आवश्यकता हो सकती है।
बाजार और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
संभावित प्रभाव:
- घरेलू कंपनियों को तात्कालिक लाभ मिलेगा, जिससे उनके मुनाफे में सुधार हो सकता है।
- निर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में इनपुट लागत थोड़ी बढ़ सकती है।
- चीन, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों के साथ व्यापारिक रिश्तों में खटास आ सकती है।
- सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह अस्थायी और सुधारात्मक कदम है, न कि स्थायी व्यापार बाधा।
आगे क्या हो सकता है?
आने वाले महीनों में DGTR स्थिति की समीक्षा करेगा और सरकार:
- शुल्क की समय सीमा बढ़ा सकती है,
- दर में बदलाव कर सकती है,
- या एंटी-डंपिंग ड्यूटी जैसे दीर्घकालिक उपाय लागू कर सकती है।
इस फैसले से यह साफ है कि सरकार रणनीतिक क्षेत्रों की रक्षा के लिए आगे बढ़कर फैसले लेने को तैयार है।
निष्कर्ष:
भारत द्वारा 12% स्टील आयात शुल्क लगाना एक रणनीतिक कदम है जो घरेलू उद्योग को संरक्षण देगा और अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेज पर रोक लगाएगा। इससे आने वाले समय में भारतीय स्टील उद्योग को मजबूती मिल सकती है।
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