ली आयोग(The Lee Commission): इतिहास, विशेषताएं और सिफारिशें

ली आयोग(The Lee Commission): इतिहास, विशेषताएं और सिफारिशें

ली आयोग (The Lee Commission) ब्रिटिश सरकार द्वारा वर्ष 1923 में स्थापित किया गया था. ली आयोग का उद्देश्य भारतीय सिविल सेवाओं के उच्च पदों में जातीय संरचना की समीक्षा करना था। इस आयोग की अध्यक्षता लॉर्ड ली ऑफ फेयरहैम ने किया था.

ली आयोग (The Lee Commission)

ली आयोग में भारतीय और ब्रिटिश सदस्यों की समान संख्या थी। यह आयोग 1917 में इस्लिंगटन आयोग के बाद आया था, जिसने सिफारिश की थी कि सरकार के उच्च पदों में से 25% भारतीयों को दिए जाएं। हालांकि, इस्लिंगटन आयोग (1912) सिफारिश को वर्ष 1918 में मोंटेगू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट के बाद नजरअंदाज कर दिया गया था, जिसने इन पदों में से एक-तिहाई भारतीयों को नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया था।

वर्ष 1922 में लंदन और नई दिल्ली दोनों जगहों में एक साथ सिविल सेवा की परीक्षाएं शुरू की गईं, जिससे भारतीयों को उच्च पदों के लिए प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिला। हालांकि, इस समय के राजनीतिक अस्थिरता के कारण ब्रिटिश उम्मीदवारों की संख्या में कमी आई थी।

ली आयोग की सिफारिशें

वर्ष 1924 में ली आयोग ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष सिफारिश प्रस्तुत किया गया. ली आयोग की सिफारिशें निम्नलिखित हैं

  • भविष्य के 40% सिविल सेवक ब्रिटिश होने चाहिए,
  • 40% भारतीय सीधे सिविल सेवा में भर्ती किए जाने चाहिए
  • 20% भारतीय प्रांतीय सेवाओं से पदोन्नत किए जाने चाहिए।

जब 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली तब तक भारतीय सिविल सेवा के लगभग 1,000 सदस्यों में से आधे से अधिक भारतीय थे। इन भारतीय अधिकारियों में से कई ने लंबे अनुभव के साथ उच्च पदों पर अपनी सेवाएं दीं।

वर्ष 1923 में ली कमिशन ने भारत में एक संघ लोक सेवा आयोग की स्‍थापना की सिफारिश की थी किन्‍तु इस कमिशन ने प्रांतो में लोक सेवा आयोगों की स्‍थापना के बारें में कोई विचार नहीं किया । प्रांतीय सरकारें अपनी आवश्‍यकतानुसार नियुक्तियां करने एवं राज्‍य सेवा नियम बनाने हेतु स्‍वतंत्र थी।

 

FAQ: ली आयोग (1923) से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: ली आयोग की स्थापना कब और क्यों की गई थी?

उत्तर: ली आयोग की स्थापना वर्ष 1923 में ब्रिटिश सरकार द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय सिविल सेवाओं के उच्च पदों में जातीय संरचना की समीक्षा करना और यह देखना था कि भारतीय और ब्रिटिश अधिकारियों का अनुपात किस प्रकार होना चाहिए।

प्रश्न 2: ली आयोग की अध्यक्षता किसने की और इसमें कितने सदस्य थे?

उत्तर: ली आयोग की अध्यक्षता लॉर्ड ली ऑफ फेयरहैम ने की थी। इस आयोग में भारतीय और ब्रिटिश सदस्यों की समान संख्या थी, जो कि इसकी निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था।

प्रश्न 3: ली आयोग से पहले कौन सा आयोग आया था और उसकी सिफारिश क्या थी?

उत्तर: ली आयोग से पहले वर्ष 1917 में इस्लिंगटन आयोग आया था। इस्लिंगटन आयोग ने सिफारिश की थी कि सरकार के उच्च पदों में से 25% पद भारतीयों को दिए जाने चाहिए। हालांकि, इसे 1918 में मोंटेगू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट के बाद नजरअंदाज कर दिया गया था।

प्रश्न 4: ली आयोग की 1924 की मुख्य सिफारिशें क्या थीं?

उत्तर: ली आयोग की 1924 की सिफारिशों के अनुसार, भविष्य में सिविल सेवाओं में 40% ब्रिटिश, 40% भारतीय सीधे भर्ती किए जाएं और 20% भारतीय प्रांतीय सेवाओं से पदोन्नत होकर उच्च पदों पर आएं।

प्रश्न 5: ली आयोग ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की स्थापना के बारे में क्या सिफारिश की थी?

उत्तर: ली आयोग ने भारत में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की स्थापना की सिफारिश की थी ताकि सिविल सेवाओं में निष्पक्षता और दक्षता सुनिश्चित की जा सके। हालांकि, इस आयोग ने प्रांतों में लोक सेवा आयोगों की स्थापना के बारे में कोई सिफारिश नहीं की थी। प्रांतीय सरकारों को नियुक्तियों और राज्य सेवा नियमों के लिए स्वतंत्र रखा गया था।

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