
भारत में इस साल मानसून (Monsoon) ने अपनी सामान्य तिथि से काफी पहले ही दस्तक दे दी है। आमतौर पर केरल में मानसून 1 जून के आसपास पहुँचता है, लेकिन इस बार यह 30 मई को ही आ गया। यह समय से पहले आने वाला मानसून कई कारणों से चर्चा में है। आइए, जानते हैं कि इसकी क्या वजहें हैं और इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है।
मानसून (Monsoon) के जल्दी आने के प्रमुख कारण
1. ला नीना का प्रभाव
ला नीना (La Niña) एक समुद्री-वायुमंडलीय घटना है जो प्रशांत महासागर में ठंडे पानी के बहाव से जुड़ी होती है। इसका सीधा असर भारतीय मानसून पर पड़ता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, इस साल ला नीना की स्थिति बन रही है, जिससे मानसूनी हवाएँ तेज और जल्दी पहुँची हैं।
ला नीना (La Niña): ला नीना प्रशांत महासागर में होने वाला एक मौसम पैटर्न है। इस पैटर्न में, तेज़ हवाएँ दक्षिण अमेरिका से इंडोनेशिया तक समुद्र की सतह पर गर्म पानी उड़ाती हैं। जैसे-जैसे गर्म पानी पश्चिम की ओर बढ़ता है, दक्षिण अमेरिका के तट के पास गहरे पानी से ठंडा पानी सतह पर आ जाता है।
अल नीनो: अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है जिसमें पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर की सतह का तापमान असामान्य रूप से बढ़ जाता है। इसे अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) घटना की “गर्म अवस्था” कहा जाता है। यह घटना ला नीना की तुलना में अधिक बार होती है।
2. हिंद महासागर में गर्मी की स्थिति
हिंद महासागर का तापमान भी मानसून को प्रभावित करता है। इस साल अप्रैल-मई में हिंद महासागर के पश्चिमी हिस्से में सामान्य से अधिक गर्मी देखी गई, जिससे मानसूनी हवाओं को बढ़ावा मिला और वे तेजी से आगे बढ़ीं।
3. अरब सागर में चक्रवाती गतिविधियाँ
मई के अंत में अरब सागर में बने चक्रवात ने भी मानसून को तेज करने में मदद की। चक्रवाती हवाओं ने नमी को खींचकर मानसूनी बारिश को जल्दी लाने में योगदान दिया।
मानसून के जल्दी आने के फायदे और नुकसान
फायदे:
- खरीफ फसलों के लिए अच्छा संकेत: किसानों को समय पर बुआई करने में मदद मिलेगी।
- गर्मी से राहत: पारा कम होगा और लू जैसी स्थितियों से बचाव होगा।
- जलाशयों में पानी की भरपाई: बारिश जल्दी आने से जल संकट कम हो सकता है।
नुकसान:
- असमान वितरण का खतरा: कुछ इलाकों में भारी बारिश जबकि कुछ में कम बारिश हो सकती है।
- बाढ़ की आशंका: केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अधिक बारिश से बाढ़ की स्थिति बन सकती है।
- शहरी क्षेत्रों में जलभराव: नालियाँ अच्छी तरह साफ न होने पर जलजमाव की समस्या हो सकती है।
क्या यह जलवायु परिवर्तन का असर है?
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि मानसून के पैटर्न में बदलाव जलवायु परिवर्तन की वजह से हो रहा है। पिछले कुछ सालों में मानसून का समय और तीव्रता अनिश्चित होती जा रही है, जिससे कृषि और जल प्रबंधन पर दबाव बढ़ रहा है।
इस साल मानसून का जल्दी आना कई मायनों में अच्छा है, लेकिन इसके अनियमित वितरण और अत्यधिक वर्षा से होने वाले नुकसान के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। सरकार और नागरिकों को मानसून प्रबंधन पर ध्यान देना होगा ताकि इसका अधिकतम लाभ उठाया जा सके।
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