NJAC क्या है? (National Judicial Appointment Commission)
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) 2014 में 99वें संविधान संशोधन के तहत बनाया गया था। इसका उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना था।
99वां संविधान संशोधन क्या है?
99वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 के तहत भारतीय संविधान में तीन नए अनुच्छेद (124A, 124B और 124C) जोड़े गए थे। इसमें NJAC की संरचना, उसके कार्य और संसद को नियुक्ति की प्रक्रिया तय करने की शक्ति दी गई थी।
NJAC का उद्देश्य क्या था?
NJAC का मुख्य उद्देश्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की पारदर्शी प्रणाली लागू करना था। इसमें निम्नलिखित प्रावधान थे:
- न्यायाधीशों की नियुक्ति – सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति करना।
- न्यायाधीशों का स्थानांतरण – एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में स्थानांतरण करना।
- योग्यता और ईमानदारी सुनिश्चित करना – नियुक्ति के लिए उपयुक्त और योग्य व्यक्तियों का चयन करना।
NJAC की संरचना
NJAC में छह सदस्य होते:
- भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) – अध्यक्ष के रूप में।
- सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश।
- कानून एवं न्याय मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री।
- दो प्रतिष्ठित व्यक्ति, जिन्हें प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता द्वारा नामित किया जाता।
NJAC असंवैधानिक क्यों घोषित किया गया?
2015 में सुप्रीम कोर्ट ने “Supreme Court Advocates-on-Record Association v. Union of India” मामले में NJAC को असंवैधानिक करार दिया। कोर्ट ने कहा कि NJAC न्यायपालिका की स्वतंत्रता के खिलाफ है और संविधान की मूल संरचना को प्रभावित करता है।
इसका मुख्य कारण यह था कि NJAC में सरकार को नियुक्तियों में अधिक शक्ति दी गई थी, जिससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती थी। अदालत ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठ न्यायाधीशों की राय को सर्वोपरि माना जाना चाहिए, जो NJAC में संभव नहीं था।
क्या NJAC अभी काम कर रहा है?
नहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद NJAC को खत्म कर दिया गया और पुराना कॉलेजियम सिस्टम फिर से लागू कर दिया गया है। अब भी, न्यायाधीशों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों की अनुशंसा से ही होती है।
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