तेलंगाना का ऐतिहासिक फैसला: आरक्षण में उप-श्रेणीकरण से बढ़ेगा सामाजिक न्याय

तेलंगाना का ऐतिहासिक फैसला: आरक्षण में उप-श्रेणीकरण से बढ़ेगा सामाजिक न्याय

तेलंगाना का बड़ा फैसला

तेलंगाना सरकार ने भारत का पहला राज्य बनकर अनुसूचित जातियों (SC) के आरक्षण में उप-श्रेणीकरण (Sub-Categorisation) लागू कर दिया है। इस फैसले के तहत SC समुदाय को अब तीन उप-समूहों में बांटा जाएगा — समूह I, समूह II, और समूह III। यह व्यवस्था 1 जून 2025 से प्रभावी होगी।

उप-श्रेणीकरण क्यों ज़रूरी है?

  • कुछ SC उप-जातियाँ दशकों से आरक्षण का बड़ा लाभ ले रही थीं।
  • कई वंचित जातियाँ अब भी शिक्षा और नौकरियों से वंचित हैं।
  • उप-श्रेणीकरण से आरक्षण का समान वितरण सुनिश्चित होगा।

यह नीति जस्टिस एस. रामचंद्र राजू आयोग की सिफारिशों के आधार पर बनाई गई है।

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी का बयान

“हमने लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया है। यह फैसला समाज के सबसे पिछड़े वर्गों को समान अवसर देगा।”

सरकार ने साथ में तेलंगाना अनुसूचित जाति (आरक्षण का युक्तिकरण) अधिनियम, 2023 भी पारित किया है।

क्या बदलेगा इस फैसले से?

बिंदु पहले अब
आरक्षण का वितरण समान रूप से पूरे SC समुदाय को तीन उप-समूहों में बांटकर
कुल SC आरक्षण अपरिवर्तित वही रहेगा (कोई बदलाव नहीं)
प्राथमिक लाभार्थी शक्तिशाली SC जातियाँ वंचित और पिछड़ी SC जातियाँ

सामाजिक प्रतिक्रिया

  • सकारात्मक स्वागत सामाजिक संगठनों द्वारा
  • आरक्षण प्रणाली में न्याय और पारदर्शिता की दिशा में कदम
  • अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपनाने पर विचार कर सकते हैं

Way Forward

तेलंगाना का यह कदम एक मॉडल बन सकता है — न केवल आरक्षण की गहराई को समझने का, बल्कि उसे न्यायपूर्ण तरीके से लागू करने का। तेलंगाना ने दिखा दिया है कि सामाजिक न्याय के लिए सिर्फ नारे नहीं, नीतिगत क्रांति ज़रूरी होती है।
आरक्षण के भीतर उप-श्रेणीकरण एक ऐसी ही पहल है, जो समाज के सबसे वंचित वर्गों तक वास्तविक लाभ पहुँचाने का रास्ता खोलती
है।

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