भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन: भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन, केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी

भारत अपने अंतरिक्ष अन्वेषण सफर में एक बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है जिसके तहत भारत अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करेगा, जिसका नाम भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksha Station) रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इस ऐतिहासिक खबर को 18 सितम्बर 2024 को साझा किया हैं जिसमें बताया कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का पहला मॉड्यूल 2035 तक संचालित हो जाएगा। पीएम मोदी ने इस विकास को भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए “महान खबर” करार देते हुए कहा कि यह भारत की बढ़ती अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन

केंद्रीय कैबिनेट ने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना की शुरुआती प्रक्रियाओं को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य इसे वर्ष 2035 तक आत्मनिर्भर बनाना है। पीएम मोदी ने यह भी खुलासा किया कि भारत का लक्ष्य 2040 तक एक मानवयुक्त मिशन को चंद्रमा पर भेजना है। प्रधानमंत्री ने इस घोषणा के दौरान कहा, “यह ऐतिहासिक निर्णय गगनयान कार्यक्रम का विस्तार करता है और भारत को 2040 तक एक मानवयुक्त चंद्र मिशन के करीब लाता है।”

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अंतरिक्ष स्टेशन क्या होता है?

अंतरिक्ष स्टेशन (Space Station) एक ऐसा कृत्रिम उपग्रह होता है जो पृथ्वी की लोअर कक्षा में स्थापित किया जाता है और जिसमें अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक रहकर वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रयोग कर सकते हैं। यह पृथ्वी से बाहर एक स्थायी या अस्थायी निवास के रूप में कार्य करता है, जहां वैज्ञानिक माइक्रोग्रैविटी (अतिसूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण) के वातावरण में विभिन्न प्रकार के शोध और परीक्षण करते हैं।

अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी से लगभग 400 किमी की ऊंचाई पर स्थापित होते हैं और इन्हें पृथ्वी से भी देखा जा सकता है। अंतरिक्ष स्टेशन की विशेषता यह होती है कि इसे बार-बार पृथ्वी से सामग्री और उपकरणों की आपूर्ति की आवश्यकता होती है। यह एक अद्वितीय मंच है जहां वैज्ञानिक पृथ्वी के बाहर की परिस्थितियों में काम कर सकते हैं और अंतरिक्ष के रहस्यों का पता लगा सकते हैं।

प्रमुख अंतरिक्ष स्टेशन:

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS): यह अब तक का सबसे बड़ा और प्रमुख अंतरिक्ष स्टेशन है। इसे नासा, रूस की रोस्कोस्मोस, जापान की जाक्सा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और कनाडा द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जाता है। ISS में वैज्ञानिक अनुसंधान, अंतरिक्ष विज्ञान, जीव विज्ञान, भौतिकी, और अंतरिक्ष में मानव स्वास्थ्य से जुड़े प्रयोग किए जाते हैं।

मीर (Mir): रूस का मीर अंतरिक्ष स्टेशन एक प्रमुख स्टेशन था, जो 1986 से 2001 तक पृथ्वी की कक्षा में रहा। मीर ने लंबे समय तक रहने वाले मानव मिशनों के लिए आधार तैयार किया।

तियांगोंग (Tiangong): चीन का तियांगोंग स्पेस स्टेशन चीन का पहला पूर्णरूप से स्वायत्त अंतरिक्ष स्टेशन है। तियांगोंग का उद्देश्य अंतरिक्ष में चीन के शोध और प्रयोगों को आगे बढ़ाना है।

अंतरिक्ष स्टेशन का इतिहास: एक नजर

अंतरिक्ष अन्वेषण की जटिलता और बढ़ते खर्च को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1960 के दशक में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर शोध की शुरुआत हुई थी। शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका ने अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी भूमिका निभाया था ।  वर्ष 1971 में सोवियत रूस ने दुनिया का पहला अंतरिक्ष स्टेशन, सल्युत (Salyut) लॉन्च किया था। इसके बाद वर्ष 1973 में USA ने अपना पहला स्टेशन स्कायलैब (Skylab) अंतरिक्ष में स्थापित किया था।

अब तक कुल 11 अंतरिक्ष स्टेशनों का निर्माण किया गया है लेकिन वर्तमान में केवल 2 ही सक्रिय हैं – अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station – ISS) और चीन का तियोंगयांग-2 (Tiangong-2)। ISS की स्थापना वर्ष 1998 में शुरू हुई थी और 2011 से यह पूरी क्षमता के साथ कार्य कर रहा है। इस स्टेशन पर वर्ष 2000 में पहली बार अंतरिक्ष यात्री भेजे गए थे। ISS का संचालन अमेरिका की NASA के नेतृत्व में 16 देशों द्वारा किया जा रहा है जिनमें रूस, जापान, ब्राज़ील, कनाडा, और यूरोप के 11 देश शामिल हैं।

भारत के लिए अंतरिक्ष स्टेशन की आवश्यकता

भारत के लिए अंतरिक्ष स्टेशन की आवश्यकता कई कारणों से महत्वपूर्ण है:

  1. अंतरिक्ष में भारत की उपस्थिति: वर्ष 1984 में सोवियत रूस द्वारा भेजे गए राकेश शर्मा के बाद कोई भारतीय नागरिक अंतरिक्ष में नहीं गया है। ऐसे में भारत को अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना आवश्यक है ताकि वह वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर हो सके।
  2. ISS के पास सीमित समय: भारत अतीत में कुछ कारणों से ISS का हिस्सा नहीं बन सका। अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ISS 2024-2025 के बाद प्रभावी रूप से कार्यरत नहीं रहेगा। ऐसे में भारत को अपना स्टेशन विकसित करना आवश्यक हो जाएगा।
  3. गगनयान मिशन की निरंतरता: गगनयान मिशन की सफलता के बाद भारत को भविष्य में मानवयुक्त मिशन के लिए अंतरिक्ष स्टेशन की आवश्यकता होगी।
  4. अंतरिक्ष पर्यटन: दुनिया की अग्रणी कंपनियां जैसे स्पेसएक्स (SpaceX) और ब्लू ओरिजिन (Blue Origin) अंतरिक्ष पर्यटन पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। भारत को भी इस क्षेत्र में प्रगति करनी होगी ताकि वह भविष्य में इस लाभदायक उद्योग का हिस्सा बन सके।

 

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