भारत के कृषि क्षेत्र को बदलने और देशभर के किसानों की आजीविका को बेहतर बनाने के उद्देश्य से, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2 सितम्बर 2024 को 14,235.30 करोड़ रुपये की कुल बजटीय लागत के साथ सात व्यापक योजनाओं को मंजूरी दी है। ये पहल कृषि पद्धतियों में क्रांतिकारी बदलाव लाने एवं खाद्य सुरक्षा में सुधार करने के लिए और किसानों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए आधुनिक उपकरण और तकनीक से सुसज्जित करने के लिए किया गया हैं।
- डिजिटल कृषि मिशन
- खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए फसल विज्ञान
- कृषि शिक्षा, प्रबंधन और सामाजिक विज्ञान को सशक्त बनाना
- स्थायी पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादन
- बागवानी का सतत विकास
- कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को सशक्त बनाना
- प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन
डिजिटल कृषि मिशन
डिजिटल कृषि मिशन
डिजिटल कृषि मिशन केंद्र सरकार का महत्त्वपूर्ण मिशन हैं. इस मिशन को 2,817 करोड़ रुपये आवंटन की गई है. इस महत्वपूर्ण आवंटन के साथ यह मिशन कृषि क्षेत्र को ऊपर उठाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगा। डिजिटल कृषि मिशन डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर) की नींव पर आधारित है. यह किसानों के लिए एक मजबूत डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का कार्य करेगा है। इस मिशन में दो प्रमुख स्तंभ शामिल हैं:
- एग्री स्टैक: इस स्तम्भ में किसानों की एक व्यापक रजिस्ट्री रखी जायेगी, जिसमे गांव की भूमि का मानचित्र व रजिस्ट्री और फसल बुवाई रिकॉर्ड का निर्माण शामिल है।
- कृषि निर्णय सहायता प्रणाली: इस स्तंभ में कृषि से सम्बंधित भौगोलिक डेटा, बाढ़ व सुखा की निगरानी, मौसम की जानकारी का डेटा और भूजल की उपलब्धता की जानकारी रखी जाएंगी. इसके साथ ही इस प्रणाली का उपयोग फसल उत्पादन और बीमा के लिए की जायेंगी।
इसके साथ साथ इस मिशन में एआई और बिग डेटा जैसी आधुनिक तकनीकों की भी शुरुआत की जाएगी, जो डिजिटल फसल अनुमान, उपज मॉडलिंग, और किसानों को मोबाइल फोन के माध्यम से नई जानकारी से जोड़ने में सक्षम बनाएगी।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए फसल विज्ञान
इस मिशन में वर्ष 2047 तक दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा और जलवायु लचीलापन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 3,979 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस पहल का लक्ष्य निम्न बिन्दुओं पर है:
- फसल विज्ञान में अनुसंधान और शिक्षा।
- पौधों के आनुवंशिक संसाधनों का प्रबंधन।
- खाद्य, चारा, दलहन, तिलहन और व्यावसायिक फसलों के लिए आनुवंशिक सुधार।
- कीट, सूक्ष्मजीव, परागणकर्ता आदि पर अनुसंधान, ताकि स्थायी कृषि पद्धतियों को सुनिश्चित किया जा सके।
कृषि शिक्षा, प्रबंधन और सामाजिक विज्ञान को सशक्त बनाना
इस मिशन के लिए 2,291 करोड़ रुपये आवंटित की गई हैं. यह पहल कृषि शिक्षा को आधुनिक बनाने और छात्रों और शोधकर्ताओं को वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने के उद्देश्य से बनाई गई है। यह मिशन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत संचालित होगी एवं यह नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है। इस योजना में निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
- डिजिटल पीपीआई, एआई, बिग डेटा जैसी नवीनतम तकनीकों को शामिल करना।
- कृषि शिक्षा और अनुसंधान में प्राकृतिक खेती और जलवायु लचीलापन पर जोर देना।
स्थायी पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादन
स्थायी पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादन मिशन किसानों की आय में महत्वपूर्ण भूमिका के रूप में पहचानते हुए 1,702 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस पहल में शामिल हैं:
- पशु स्वास्थ्य प्रबंधन और पशु चिकित्सा शिक्षा।
- डेयरी उत्पादन और प्रौद्योगिकी विकास।
- पशु आनुवंशिक संसाधनों का प्रबंधन और सुधार।
- पशु पोषण और छोटे जुगाली करने वाले पशुओं का उत्पादन बढ़ाना।
बागवानी कृषि का सतत विकास
बागवानी कृषि से आय बढ़ाने के उद्देश्य से बागवानी का सतत विकास योजना शुरू की जायेगी. इस मिशन के लिए 1,129.30 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस योजना में शामिल हैं:
- उष्णकटिबंधीय, उप-उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण बागवानी फसलों का विकास।
- जड़, कंद, कंदयुक्त और शुष्क फसलों के साथ-साथ सब्जी, फूलों की खेती, और मशरूम की खेती पर ध्यान केंद्रित करना।
- मसाले, औषधीय और सुगंधित पौधों का प्रचार-प्रसार करना।
कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को सशक्त बनाना
देश भर में कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को सशक्त बनाने के लिए 1,202 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। ये केंद्र किसानों को नवीनतम ज्ञान, प्रशिक्षण और कृषि पद्धतियों में नवाचार प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन
प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन मिशन को 1,115 करोड़ रुपये के आवंटित की गई है इसके साथ ही प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन योजना का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग और संरक्षण करना है, ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए कृषि के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
ये सात योजनाएं सामूहिक रूप से सरकार की किसानों की आय दोगुनी करने और भारतीय कृषि को अधिक लचीला, सतत, और प्रौद्योगिकी-प्रेरित बनाने की प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। कृषि के विभिन्न पहलुओं को एकत्र करना है जिससे डिजिटल अवसंरचना से लेकर शिक्षा, पशुधन स्वास्थ्य, और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जा सके.