
ख़ाकसार आंदोलन (Khaksar Movement) की स्थापना 1931 में इनायतुल्लाह खान मशरिकी ने की थी। इसका उद्देश्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्र कराना और सभी धर्मों को समान अधिकार दिलाना था। यह आंदोलन भारत के विभाजन का कड़ा विरोधी था और एक अखंड, एकजुट देश का समर्थक था।
ख़ाकसार आंदोलन में सदस्यता सभी के लिए खुली थी — धर्म, जाति, नस्ल या सामाजिक स्थिति की कोई पाबंदी नहीं थी। कोई सदस्यता शुल्क नहीं लिया जाता था, और संगठन मानवता के भाईचारे और समानता पर ज़ोर देता था।
स्थापना और पृष्ठभूमि
- 1930 के दशक में, अल्लामा मशरिकी ने अपने ग्रंथ तज़किरा (1924) और इशारत में आत्म-सुधार, अनुशासन और सेवा के सिद्धांतों को प्रस्तुत किया, जो इस आंदोलन की नींव बने।
- ख़ाकसार नाम फ़ारसी के दो शब्दों — ख़ाक (धूल) और सर (जैसा) — से लिया गया, जिसका अर्थ है “विनम्र व्यक्ति”।
- आंदोलन ने क्रांतिकारी भाषा अपनाई और लाहौर के पास इचरा गांव से इसकी शुरुआत हुई। शुरुआती 90 सदस्यों से यह कुछ ही हफ्तों में 300 तक पहुंचा और 1942 तक इसके 40 लाख सदस्य हो गए।
- विचारधारा और उद्देश्य
अल्लामा मशरिकी ने आंदोलन के तीन मुख्य उद्देश्य बताए:
- ईश्वर की सर्वोच्चता
- राष्ट्र की एकता
- मानव जाति की सेवा
यह सभी धर्मों के लिए समान अधिकार और सामाजिक न्याय पर आधारित था।
प्रमुख घटनाएं
- लाहौर गोलीकांड (19 मार्च 1940) — मुस्लिम लीग के ऐतिहासिक अधिवेशन से तीन दिन पहले पंजाब पुलिस ने कार्रवाई में दर्जनों ख़ाकसारों को मार डाला।
- आंदोलन के सख्त अनुशासन और घोषणापत्र के कारण ब्रिटिश सरकार से कई बार टकराव हुआ। अल्लामा मशरिकी को कई बार जेल में डाला गया और उन्होंने भूख हड़ताल भी की।
- विभाजन के समय, ख़ाकसारों ने हिंदू, सिख और मुसलमान सभी की जान बचाने का प्रयास किया, हालांकि कुछ स्थानों पर निचले स्तर पर हिंसा भी हुई।
- 4 जुलाई 1947 को मशरिकी ने आंदोलन भंग कर दिया, यह मानते हुए कि मुसलमान अब पाकिस्तान के विचार से संतुष्ट हो चुके थे।
संगठन और अनुशासन
- सभी सदस्य खाकी वर्दी, सैन्य जूते और सिर पर सफेद रूमाल या पंजाबी पगड़ी पहनते थे।
- भाईचारे के प्रतीक के रूप में दाहिने हाथ पर लाल बिल्ला (अखुवत) और हाथ में कुदाल (बेलचा) रखते थे, जो विनम्रता और समाज में समानता का प्रतीक था।
- रोज़ाना सैन्य परेड, अभ्यास और सामाजिक सेवा कार्यों में भाग लेना अनिवार्य था।
चौबीस सिद्धांत और चौदह सूत्र
- चौबीस सिद्धांत (1936) — जाति-धर्म से ऊपर उठकर सेवा, भाईचारे और प्रेम से लोगों को आंदोलन से जोड़ने का आह्वान।
- चौदह सूत्र (1937) — संगठन की अनुशासन प्रणाली, नीतियों और नेतृत्व की संरचना को स्पष्ट किया।
विभाजन और उसके बाद
- विभाजन के बाद पाकिस्तान में मशरिकी ने इस्लाम लीग बनाई।
- भारत में गांधीजी की हत्या के बाद सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले संगठनों के खिलाफ कार्रवाई में ख़ाकसार पर प्रतिबंध लगा।
- 27 अगस्त 1963 में मशरिकी की मृत्यु के बाद, पाकिस्तान में इसे एक नागरिक राजनीतिक समूह के रूप में पुनर्जीवित किया गया और 1977 में यह पाकिस्तान नेशनल अलायंस में भी शामिल हुआ।
निष्कर्ष
ख़ाकसार आंदोलन केवल एक राजनीतिक संगठन नहीं था, बल्कि यह अनुशासन, सेवा और समानता पर आधारित एक सामाजिक सुधार आंदोलन भी था। इसकी वर्दी, कुदाल और भाईचारे के प्रतीक ने इसे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक अनोखी पहचान दी।
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