8 अप्रैल 2025 को भारत प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) की 10वीं वर्षगांठ मना रहा है, जो 2015 में “अवित्तपोषितों को वित्तीय समर्थन देने” के उद्देश्य से शुरू की गई एक ऐतिहासिक पहल थी। यह योजना सूक्ष्म और लघु उद्यमों को बिना किसी ज़मानत के ऋण प्रदान करती है।
मुद्रा योजना ने देश में वित्तीय पहुंच का लोकतंत्रीकरण किया है, करोड़ों लोगों के जीवन को बदला है, और भारत की आर्थिक सोच को रोजगार खोजने से लेकर रोजगार सृजन करने की दिशा में मोड़ दिया है। आज तक इस योजना के तहत 52 करोड़ से अधिक ऋण, कुल ₹32.61 लाख करोड़ की राशि में स्वीकृत किए जा चुके हैं — जिससे देश के हर कोने के उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनने की शक्ति मिली है
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की विशेषताएं
श्रेणी | ऋण सीमा |
शिशु | ₹50,000 तक |
किशोर | ₹50,000 से ₹5 लाख |
तरुण | ₹5 लाख से ₹10 लाख |
तरुण प्लस | ₹10 लाख से ₹20 लाख (सफल पुनः आवेदकों के लिए) |
ऋण बिना किसी ज़मानत के मिलता है।
- बैंक, NBFC, MFI, RRB जैसे कई संस्थान इसके तहत ऋण प्रदान करते हैं।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: 10 वर्षों की उपलब्धियाँ
- कुल ऋण वितरण: ₹32.61 लाख करोड़
- औसत ऋण राशि: ₹1.02 लाख (FY25)
- महिलाओं की भागीदारी: 68%
- SC/ST/OBC लाभार्थी: 50%
- अल्पसंख्यक लाभार्थी: 11%
वैश्विक पहचान और सराहना
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) को न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापक सराहना मिली है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) समेत कई वैश्विक संगठनों ने इस योजना को एक प्रभावशाली सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनकारी पहल के रूप में मान्यता दी है। वर्ष 2017 में IMF ने इसे महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने वाली योजना के रूप में सराहा। वहीं 2019 से 2024 के बीच, इसे स्वरोजगार और आर्थिक औपचारिकता (formalisation) का प्रमुख इंजन बताया गया — जो भारत को आत्मनिर्भर और समावेशी आर्थिक शक्ति बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
भारत के टॉप राज्य – ऋण वितरण में अग्रणी
- तमिलनाडु – ₹3.23 लाख करोड़
- उत्तर प्रदेश – ₹3.14 लाख करोड़
- कर्नाटक – ₹3.02 लाख करोड़
- पश्चिम बंगाल – ₹2.82 लाख करोड़
- बिहार – ₹2.81 लाख करोड़
- जम्मू-कश्मीर – ₹45,815 करोड़ (UT में शीर्ष पर)
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