
प्रधानमंत्री मोदी ने किया पंबन ब्रिज (Pamban Bridge) का उद्घाटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अप्रैल 2025 को मण्डपम में पहुंचकर भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट समुद्री पुल का उद्घाटन किया। यह नया स्ट्रक्चर, रामेश्वरम को मुख्यभूमि से जोड़ने वाले 110 साल पुराने ढांचे की जगह लेगा।
यह परियोजना तकनीकी दृष्टि से एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, जो न केवल संरचनात्मक मजबूती और आधुनिक तकनीक का उदाहरण है, बल्कि पर्यटन और परिवहन के क्षेत्र में भी नए रास्ते खोलती है।
पंबन ब्रिज (Pamban Bridge): इतिहास की एक झलक
भारत और श्रीलंका (तत्कालीन सीलोन) को जोड़ने की कल्पना सबसे पहले वर्ष 1876 में की गई थी। उस समय ‘रामसेतु’ मार्ग से दोनों देशों को जोड़ने की योजना पर विचार हुआ था, लेकिन खर्च अधिक होने के कारण वह योजना लागू नहीं हो सकी।
बाद में 1906 में एक नया और व्यावहारिक प्लान पास किया गया, जिसमें मदुरै से धनुषकोडी तक रेलवे लाइन बिछाई गई और धनुषकोडी से श्रीलंका के बीच स्टीमर सेवा शुरू की गई।
पुरानी संरचना (पंबन ब्रिज) की विशेषताएं
इससे पहले मौजूद ढांचा (पंबन ब्रिज), जो कि देश का पहला समुद्री ब्रिज माना जाता है, समुद्र तल से 12.5 मीटर ऊपर बनाया गया था। कुल 145 पायर्स पर खड़ा यह पुल ‘डबल-लीफ बैस्क्यूल स्पैन’ के साथ निर्मित था, जिसे शिपिंग के लिए खोला जा सकता था। इसे ‘शेरज़र रोलिंग लिफ्ट’ प्रणाली कहा जाता था।
नई तकनीक, नया युग (वर्टिकल लिफ्ट तकनीक)
नए बनाए गए स्ट्रक्चर को अत्याधुनिक वर्टिकल लिफ्ट तकनीक के साथ निर्मित किया गया है। इसका मुख्य भाग ऊपर की ओर उठ सकता है, जिससे बड़ी नौकाएं और समुद्री जहाज आसानी से नीचे से गुजर सकते हैं। इससे समुद्री व्यापार, मछली पकड़ने वाले समुदाय और यात्रियों को बड़ी सुविधा मिलेगी।
मुख्य जानकारी | विवरण |
उद्घाटन की तिथि | 6 अप्रैल 2025 |
स्थान | मण्डपम, तमिलनाडु |
विशेषता | वर्टिकल लिफ्ट तकनीक से युक्त |
पुरानी संरचना | 110 साल पुरानी डबल-लीफ बैस्क्यूल पुल |
ऊंचाई | 12.5 मीटर (पूर्व पुल) |
उद्देश्य | रामेश्वरम को मुख्यभूमि से जोड़ना |
निष्कर्ष
इस ऐतिहासिक पहल से न केवल दक्षिण भारत की कनेक्टिविटी में सुधार होगा, बल्कि यह पुल देश की तकनीकी प्रगति का प्रतीक भी बनेगा। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इस पुल का उद्घाटन देश के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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