
डिजिटल युग में, डेटा को “नये तेल” के रूप में माना जा रहा है। भारत जैसे तेजी से डिजिटलीकरण की ओर बढ़ते राष्ट्र के लिये, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करना एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है। 16 महीने की लंबी प्रतीक्षा के बाद, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने भारत के पहले व्यापक डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (DPDP Act 2023 ) को प्रभावी बनाने के लिये मसौदा नियम 2025 जारी किये हैं। ये नियम अधिनियम को क्रियान्वित करने के लिये आवश्यक तंत्र, प्रक्रियाएँ और दिशानिर्देश प्रदान करते हैं।
DPDP Act 2023 की प्रमुख विशेषताएँ
- DPDP अधिनियम (Act), भारत में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के लिये एक वैधानिक ढाँचा स्थापित करता है, जिसका मुख्य उद्देश्य उपयोगकर्त्ता की गोपनीयता की रक्षा करते हुए वैध डेटा प्रसंस्करण को सक्षम बनाना है।
- सहमति-आधारित ढाँचा: अधिनियम स्पष्ट करता है कि व्यक्तिगत डेटा केवल स्पष्ट सहमति के आधार पर या कुछ वैध प्रयोजनों के लिये ही संसाधित किया जा सकता है।
- भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड (DPBI): यह बोर्ड एक स्वतंत्र निकाय के रूप में शिकायतों का निवारण, उल्लंघनों की निगरानी और जुर्माना लगाने के लिये स्थापित किया गया है।
- भारी दंड प्रावधान: उल्लंघन की स्थिति में ₹250 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
महत्त्वपूर्ण प्रावधान:
- धारा 4: केवल सहमति या वैध प्रयोजन के आधार पर डेटा प्रसंस्करण।
- धारा 8: डेटा की सुरक्षा, उल्लंघन रिपोर्टिंग और अनावश्यक डेटा का नष्ट करना।
- धारा 9: बच्चों के डेटा हेतु माता-पिता की सहमति और निगरानी निषेध।
- धारा 10: महत्त्वपूर्ण डेटा फिड्युसरी (SDF) के लिये अतिरिक्त दायित्व।
- धारा 11: डेटा तक पहुँच और पारदर्शिता।
- धारा 13: शिकायत निवारण का अधिकार।
- धारा 16: सीमा-पार डेटा प्रवाह पर प्रतिबंध की शक्ति।
- धारा 18: DPBI की स्थापना।
DPDP नियम 2025 मसौदा: अधिनियम को क्रियान्वित करने का प्रारूप
3 जनवरी 2025 को जारी किये गये DPDP नियमों का मसौदा अधिनियम की क्रियान्वयन रूपरेखा प्रस्तुत करता है। ये नियम कम निर्देशात्मक और सिद्धांत-आधारित दृष्टिकोण को अपनाते हैं, जो उद्योग जगत को अधिक लचीलापन प्रदान करते हैं।
प्रमुख विशेषताएँ:
सरल सहमति तंत्र: GDPR की तुलना में सरल और स्पष्ट नोटिस-सहमति ढाँचा, जिससे उपयोगकर्त्ता की “सहमति थकान” को कम किया जा सके।
उपयोगकर्त्ता अधिकारों का सरलीकरण: नियम, अधिकारों को सक्षम करने के लिये कंपनियों को लचीलापन प्रदान करते हैं, सख्त निर्देशों से परहेज़ करते हैं।
बच्चों के डेटा पर विशेष छूट: शैक्षणिक, स्वास्थ्य व बाल देखभाल संस्थानों को माता-पिता की सहमति आवश्यकताओं से विशेष छूट।
SDF के लिये स्थानीयकरण दायित्व: महत्त्वपूर्ण डेटा फिड्युसरीज़ के लिये सीमा-पार डेटा प्रवाह में कठोर प्रतिबंध सम्भव।
चिंताएँ और आलोचनाएँ
हालाँकि मसौदा नियम भारत में डेटा संरक्षण तंत्र को क्रियान्वयन योग्य बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास हैं, परन्तु इनसे कई सवाल भी उठते हैं:
- उपयोगकर्त्ता अधिकारों की अस्पष्टता: मसौदा नियम यह स्पष्ट नहीं करते कि उपयोगकर्त्ता अपने डेटा तक कैसे पहुँच सकते हैं, उसे संपादित या मिटा सकते हैं।
- “राइट टू बी फॉर्गॉटन” पर अस्पष्टता: क्या उपयोगकर्त्ता सर्च इंजनों से लिंक हटाने की माँग कर सकते हैं — यह अस्पष्ट है।
- बच्चों के डेटा के लिये आयु सत्यापन की प्रक्रियाएँ अस्पष्ट: 18 वर्ष से कम आयु के लिये माता-पिता की सहमति तो आवश्यक है, परन्तु सत्यापन का तरीका या पारिवारिक डिवाइस उपयोग की व्यावहारिक समस्याएँ अनुत्तरित हैं।
- व्यवसायों की ओर से डेटा अनुरोधों के सत्यापन पर स्पष्टता का अभाव: कैसे यह निर्धारित किया जाये कि कोई अनुरोध वैध है या दुरुपयोग — यह स्पष्ट नहीं किया गया।
- सीमा-पार डेटा प्रवाह पर अस्पष्ट नीति: कुछ देश प्रतिबंधित होंगे, लेकिन देशों की सूची या मानदंडों पर कोई विवरण नहीं दिया गया है।
डेटा सुरक्षा का आर्थिक महत्त्व
IBM की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एक औसत डेटा उल्लंघन से वर्ष 2024 में ₹19.5 करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि डेटा संरक्षण नीतियों की प्रभावशीलता सिर्फ कानूनी ही नहीं, आर्थिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
भारत में डिजिटल डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने की दिशा में DPDP अधिनियम 2023 और उसके मसौदा नियम 2025 एक ऐतिहासिक कदम हैं। हालाँकि अधिनियम ने कानूनी ढाँचा प्रदान किया है, मसौदा नियमों में अभी भी कई व्यवहारिक अस्पष्टताएँ बनी हुई हैं जिन्हें अंतिम नियम बनाने से पूर्व संबोधित करना आवश्यक है।
सरकार को चाहिये कि वह विशेषज्ञों, उद्योग, और नागरिक समाज से विचार-विमर्श कर इन नियमों को स्पष्ट, व्यावहारिक और क्रियान्वयन योग्य बनाए। तभी भारत वैश्विक स्तर पर एक सशक्त डेटा संप्रभु राष्ट्र के रूप में उभर सकेगा।
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